आप जो सोचते हैं क्या वो वाकई में आप सोचते हैं
या आपकी परम्परा सोचती है
आप मुस्लिम परिवार में पैदा हुए तो आप मुस्लिम की तरह सोचते हैं
आप ईसाई परिवार में पैदा होते हैं तो ईसाई की तरह
हिंदू परिवार में पैदा होते हैं तो हिंदू की तरह ही सोचते हैं
तो आप नहीं सोच रहे दरअसल आप सोच की परम्परा का बस एक पुर्जा ही हैं
आप अगर दस हज़ार साल पहले पैदा हुए होते तो आप आज जैसे नहीं सोच सकते थे
मतलब आप सोचने की परम्परा की अगली कड़ी मात्र हैं
विचार धारा पीढ़ी दर पीढ़ी सफर करती हुई आप तक आई है
अब ये विचारधारा आप में से गुज़र कर अगली पीढ़ी में पहुँच जायेगी
आपके माध्यम से
अब तक की विज्ञान की सारी तरक्की
लोकतान्त्रिक विचारधारा का सारा विकास
सभी अच्छी बातें अगली पीढ़ी तक पहुँच ही जायेंगी
लेकिन अगर आपका जनम धार्मिक कट्टरता से भरे
अलोकतांत्रिक ,अंधविश्वासी , जाहिल माहौल में हुआ है
तो आपकी अगली पीढ़ी तक वही सब कट्टरता और ज़हालत पहुँचेगी
इसलिए आप मानव इतिहास के विकास की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं
अब सवाल यह है कि क्या मनुष्य हजारों साल के ज्ञान को अगली पीढ़ी तक पहुंचा रहा है
या मुनाफे के लिए मनुष्यों को सारे परम्परागत ज्ञान से काट कर
सिर्फ पूंजीपति की चाकरी के मतलब की जानकारियाँ ही नए बच्चों के दिमागों में डाली जा रही हैं
क्या हमारी शिक्षा
मनुष्यता के हजारों साल के संगृहीत ज्ञान को आगे बढ़ाने वाली है या
यह शिक्षा हजारों साल के उस ज्ञान को महत्वहीन मानने वाली है
यह शिक्षा मुनाफाखोर पूंजीपतियों के लिए हमारे बच्चों को तैयार करने के लिए बनाई गयी है
प्रतियोगिता इस शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण लक्षण है
क्या यह शिक्षा यह सिखा रही है कि मनुष्य के लिए समाज ज़रूरी है
या यह शिक्षा हमारे बच्चों के दिमाग में यह डाल रही है कि असल में समाज तुम्हारा प्रतियोगी है
क्या यह शिक्षा हमारे बच्चों को समाज को दुश्मन की तरह देखने के लिए प्रेरित नहीं कर रही है
यह शिक्षा बताती है कि तुम्हारा लक्ष्य दुनिया का ज़्यादा से ज़्यादा सामान अपने घर में जमा कर लेना है
यही तुम्हारे विकसित और सुखी होने का एक मात्र रास्ता है
अब हमारे बच्चे
आदिवासियों के जंगल , गाँव वालों की ज़मीनों की लूट
इसके लिए आदिवासियों की हत्याएं
औरतों से बलात्कार
को अपने विकास के लिए अनिवार्य मानने लगते है
अब आपके व्यक्तित्व के भीतर का सबसे बुरा हिस्सा
इस मुनाफे की व्यवस्था ने सबसे महत्वपूर्ण बना दिया है
इस पर सवाल उठाइये
आपका सही सोचना मनुष्यता के विकास का एक महत्वपूर्ण क्षण है
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