Tuesday, September 6, 2011

'हत्या करे पुलिस, बदनाम हो नक्सली'



 दंतेवाडा में ये एक आम बात है ! पुलिस अपने कुकर्मो को नक्सलियों के सिर मढ़ देती है ! पुलिस की बात तो मीडिया छाप देती हैं और आम लोग ये मान कर चुप हो जाते हैं की ' नक्सली तो हैं ही क्रूर ' अपनी बात को सिद्ध करने के लिए मैं एक ऐसा मामला यहाँ आपके सामने रख रहा हूँ ! इस मामले में आज एक पुलिस सब इन्स्पेक्टर घनश्याम पटेल जेल में है ! और उसकी ज़मानत की अर्जी छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने ठुकरा दी है ! दो आरोपी एस पी ओ कोसा एवं फोटू फरार हैं !
इस मामले की मेरे द्वारा मेधा पाटकर को जानकारी दी गयी थी ! मेधा पाटकर ने तत्कालीन डी जी पी  विश्वरंजन को इस विषय में चिट्ठी लिखी थी तो विश्वरंजन ने जवाब दिया था हिमांशु की तो आदत है झूठ बोलने की ! ये घटना तो नक्सलियों ने ही की है ! लेकिन आज उसी घटना में उन्ही की पुलिस बल का सब इन्स्पेक्टर जेल में है! तो कौन झूठ बोल रहा था? 
 घटना 18 मार्च 2007 को हुई ! सलवा जुडूम केम्प माटवाडा जिला बीजापुर में सब इंस्पेक्टर घनश्याम पटेल और 15 अन्य एस पी ओ ने मिल कर तीन आदिवासीयों को पहले डंडो से मारा और अंत में आँखों में चाक़ू घोंप कर पत्थर से सिर कुचल कर मार डाला और लाशें ले जाकर पास में नदी के किनारे रेत में दफना दी और मीडिया को बुला कर बता दिया कि  इन तीन लोगों की हत्या नक्सलियों ने कर दी है ! अखबारों ने समाचार प्रकाशित भी कर दिया ! मरने वाले इन तीनो आदिवासियों का कसूर ये था कि ये भूख के मारे अपने गाँव में सुबह जाकर महुआ बीनते थे उसे बेच कर चावल लाकर अपने बच्चों को खिलाते थे ! और शाम को वापिस सलवा जुडूम केम्प में आ जाते थे ! मारने वाले पुलिस और एस पी ओ को ये गुस्सा था की ये लोग गाँव जायेंगे तो धीरे धीरे सारा सलवा जुडूम कैंप अपने गाँव में वापिस चला जायेगा ! और फिर ये एस पी ओ नक्सलियों से बचने के लिए किस के बीच में छिपेंगे ?  
इस घटना पर मेरा साथी कोपा कुंजाम बेचैन हो गया ! वह उन दिनों उसी क्षेत्र में सामुदायिक स्वास्थ्य का काम कर रहा था और इस हत्याकांड वाला ये सलवा जुडूम केम्प उसी के क्षेत्र में आता था ! कोपा अचानक अंतर्ध्यान हो गया और तीन दिन के बाद मृतकों के भाई और पत्नियों के साथ प्रगट हो गया ! हमने मीडिया को बुलाया और कहा कि भाई इनकी पत्नियों से बात कर लो ! इसके बाद मीडिया में तूफ़ान आ गया ! दंतेवाडा, जगदलपुर, कांकेर , बिलासपुर सब जगह इन विधवा आदिवासी महिलाओं के साक्षात्कार छपने लगे ! सरकार बैकफुट पर आ गयी !
  हमने ये मामला छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में दायर किया! सरकार ने अदालत में अपने जवाब में लिखा  कि " ये महिलाए वनवासी चेतना नामक एन जी ओ के कब्ज़े में हैं .... इन महिलाओं द्वारा पुलिस में नक्सलियों के विरुद्ध ऍफ़ आई आर दर्ज कराने के बाद नक्सलियों ने इन महिलाओं को पुलिस पर झूठा आरोप लगाने के लिए कहा ..... नक्सलियों ने इन महिलाओं को लाठियों से पीटा है ... इसलिए ये महिलाएं पुलिस पर झूठा आरोप लगा रही हैं ! 
 तो इस तरह सरकार और पुलिस ने इन मुसीबत में पडी महिलाओं की मदद करने की सजा के तौर पर हमें अदालत में नक्सली कहा ! हांलाकी अब अदालत में इसी मामले में पुलिस की धज्जियां उड़ रही हैं ! पर सरकार अपने कहे पर माफी मांगने को तैयार नहीं है ! हांलाकी हमने क़ानून की मदद की थी जिसके लिए हमें प्रशस्ति पत्र मिलना चहिये और अदालत में हमें नक्सली कहने वाले पर कार्यवाही की जानी चाहिए ! पर जाने दीजिये ! इतना बड़ा दिल सरकार में किसका है ? हमें तो इनाम के तौर पर ये मिला कि कोपा को जेल में डाल दिया गया और हमारे आश्रम पर बुलडोज़र चला दिया गया ! खैर !    
इस घटना की जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी की और राष्ट्रीय मानवाधिकार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि पुलिस के दावे पर विश्वास करना कठिन कि इन आदिवासियों की हत्या नक्सलियों ने की है.. क्योंकि घटना स्थल के सामने थाना है ... और घटनास्थल के पीछे सी आर पी ऍफ़ का एक बड़ा केम्प है ... इसलिए नक्सलियों का वहां आकर इनकी हत्या करना असम्भव है... नक्सलियों के विरुद्ध ऍफ़ आई आर लिखने वाले अधिकारी सब इन्स्पेक्टर घनश्याम पटेल ही हत्या का आरोपी है ! मृतकों की विधवाओं ने हमसे मिलकर इस पुलिस अधिकारी और एस पी ओ के विरुद्ध अपने पति की हत्या का आरोप लगाया है ... इसलिए इसके द्वारा लिखी गयी ऍफ़ आई आर की जांच आवश्यक है !...... और अभी हाई कोर्ट में भी इस पुलिस अधिकारी की ज़मानत अर्जी खारिज करते समय कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि क्योंकी आवेदक (सब इन्स्पेक्टर घनश्याम पटेल) ही ऍफ़ आई आर लिखने वाला है और आवेदिका ने उसी के विरुद्ध हत्या का आरोप लगाया है इसलिए ज़मानत का आवेदन निरस्त किया जाता है...   
 अब सवाल ये उठता है कि अदालत में क्या सरकार कुछ भी मनगढ़ंत कहानियां सुना सकती है ! अदालत की गरिमा की रक्षा सरकार की ज़िम्मेदारी है कि नहीं ! सरकार को जनता की रक्षा करने के लिए बनाया गया है ! सरकार कमजोरों को मारेगी और अदालतों में झूठ बोलेगी तो लोग कहाँ जायेगे ?   

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