Monday, September 12, 2011

पता नहीं इस लडकी का क्या होगा ? - हिमांशु कुमार

इस बार जब लिंगा दिल्ली से दंतेवाडा जाने लगा तो मैंने उसे जोर से भींच कर गले से लगा लिया ! मैंने कहा लिंगा मेरा दिल कह रहा है कि हम अंतिम बार मिल रहे हैं ! वो हंसने लगा ! और बोला सर मैं अपने दिल से पुलिस का डर निकालना चाहता हूँ ! मैंने कोई गलती नहीं की ! सारे अपराध पुलिस ने किये ! और मैं ही डरूं ? क्यों ! इसलिए की मैं आदिवासी हूँ ! और आदिवासियों को पुलिस से डरना चाहिए ?
लिंगा वही लड़का है जिसे दंतेवाडा के तत्कालीन डीआईजी कल्लूरी और एस पी अमरेश मिश्रा ने जबरन एस पी ओ बनाने के लिए चालीस दिन तक दंतेवाडा थाने के शौचालय में भूखा रखा था और जिसे हम लोगों की मदद से उसकी बुआ सोनी सोरी ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के हस्तक्षेप से मुक्त कराया था ! उसके बाद इन दोनों अधिकारियों ने लिंगा की हत्या की कई असफल कोशिशें की ! अंत में हमने उसे दिल्ली भेज दिया ! वहां उसने पत्रकारिता की पढाई की ! उसी दौरान डीआईजी कल्लूरी और एस पी अमरेश मिश्रा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी थी कि लिंगा कोडोपी कांग्रेसी नेता अवधेश गौतम के घर पर हुए हमले का मास्टर माइंड है! लेकिन जब दिल्ली में शोर मचा कि ये लड़का दिल्ली में है तो दंतेवाडा में कैसे हमला करेगा ?तो परम ज्ञानी श्री विश्वरंजन जी ने कहा कि ये विज्ञप्ति गलती से जारी हो गयी थी ! खैर गलती तो इंसानों से हो ही जाती है ! और अच्छे अच्छे पट कथाकार कई बार फ्लाप कहानी भी लिख देते हैं ! तो इस बार ये कहानी पिट गयी !
मैंने उसे समझाने की बहुत कोशिश की और उससे कहा कि देखो दंतेवाडा में आदिवासियों का जो नरसंहार सरकार कर रही है उस को रोकने के लिए हम सब को काम करना है ! तुम वहां जाओगे तो या तो सरकार कोई भी फर्जी मामला बना कर तुम्हे जेल में डाल देगी या फर्जी एन्काउन्टर दिखा कर तुम्हे नक्सली सिद्ध कर के मार देगी ! वो बोला ऐसे कैसे मुझे नक्सली सिद्ध कर देंगे ? मैंने कहा जो लोग नारायण देसाई जैसे प्रख्यात गांधीवादी और प्रोफ़ेसर यशपाल जैसे अन्तरिक्ष वैज्ञानिकों को माओवादी समर्थक कह कर छत्तीसगढ़ में उनका जलूस निकलवा सकते हैं ! उनके लिए तुम्हे माओवादी सिद्ध करना क्या मुश्किल है? छत्तीसगढ़ सरकार तो गुंडागर्दी पर उतरी हुई है !
लिंगा मुझसे कहने लगा कि मेरे गाँव के लोग चाहते हैं कि मैं वहाँ का बन्द स्कूल और अस्पताल शुरू करवा दूं ! मैं ये काम करवा लूं फिर आगे का सोचूंगा ! आखिरकार हमारी इस बात पर सहमती बनी कि लिंगा तीन महीने दंतेवाडा के अपने गाँव में रहने के बाद दिल्ली आकर पत्रकारिता शुरू करेगा !
लिंगा बीच बीच में मुझे फोन करता रहता था ! उसने मुझे बताया कि वो बस्तर के कमिश्नर श्रीनिवासलू से और दंतेवाडा के कलेक्टर ओमप्रकाश चौधरी से मिला है और उनको अपने साथ हुई पुरानी पुलिस ज्यादतियों और गाँव में लोगो की तकलीफों के बारे में बताया है ! और ये कि इन दोनों ने उसे सहयोग का आश्वासन दिया है ! इसके कुछ दिन बाद उसका फिर फोन आया कि सर मुझे नक्सलियों ने बुला कर डांटा है कि मैं इन सरकारी अधिकारियों से क्यों मिला ? और ये भी कि नक्सली मुझसे कह रहे थे कि ज्यादा नेतागिरी मत करो ! वो मुझसे पूछने लगा कि सर क्या मैं अपने लोगो के भले के लिए काम नहीं कर सकता ?
एक दिन उसका फोन आया और वो मुझे बताने लगा कि सर मैं आदिवासी विकास विभाग के एक अधिकारी से मिला और मैंने उनसे कहा कि आपने गाँव में कोई बिल्डिंग नहीं बनाई है पर कलेक्टर को बता दिया है कि बिल्डिंग बनाई गयी है ! मैं कलेक्टर को इसके बारे में बताऊंगा ! इस पर वो अधिकारी महोदय गिडगिडाने लगे और बोले कि आप को हम नयी बिल्डिंगे बनाने का ठेका दे देंगे पर आप हमारी शिकायत मत करो ! लिंगा ने बताया सर मैंने उन्हें बोला कि मैं यहाँ ठेकेदारी करने नहीं आया हूँ ! बल्कि मैं चाहता हूँ आप गाँव में इमानदारी से काम करें !
इस बीच मई जून में मुझे अमेरिका जाना पड़ा ! एक दिन उसका फोन आया कि सर हम लोग बहुत मुसीबत में हैं ! नक्सलियों ने मेरी बुआ सोनी सोरी के पिता अर्थात मेरे दादा का पूरा घर लूट लिया है और उनके पैर में गोली मार दी है ! मैंने कहा ठीक है ! मैं तुरंत इस समाचार को सब को भेजता हूँ ! तो उसने कहा कि नहीं मैं खुद दिल्ली आ रहा हूँ और मैं खुद इसके बारे में प्रेस को बताऊँगा !
फिर उसका फोन आया कि सर मैं अपना एक मिट्टी का घर बना रहा हूँ ! इस बीच उसने बताया कि वो थानेदार से मिला और अपनी मोटर साइकिल वापिस माँगी तो थानेदार ने लिंगा से कहा कि अगर फिर से मोटर साईकिल मांगने आया तो तुझे किसी भी केस में फंसा कर अन्दर कर देंगे !
इस बीच लिंगा की बुआ सोनी सोरी का फोन आया कि सर पंद्रह अगस्त को मेरे सरकारी आश्रम जिसमे मैं पढ़ाती हूँ वहाँ नक्सली आये थे और कह रहे थे कि हम ये तिरंगा झंडा उतार कर यहाँ काला झंडा फहराएंगे ! तो सर मैंने उनसे खूब बहस की और उनसे कहा कि इस झंडे के लिए भगत सिंह जैसे लोगो ने अपनी कुर्बानी दी है मैं इसे नहीं उतारने दूंगी ! फिर वो मुझसे पूछने लगी सर मैंने ठीक किया ना ! मैं उसकी बातें सुन रहा था और सोच रहा था मैं इस अकेली कमज़ोर सी आदिवासी लडकी को सेल्यूट करूँ जो अकेले राष्ट्रध्वज के सम्मान के लिए लड़ रही है या उन वर्दीधारी सुरक्षा बल के बड़े ओहदेदारों को जो रोज़ इस तिरंगे को बलात्कार और निर्दोषों का खून बहा कर अपमानित करते हैं ?
कल रात इसी लडकी का फोन आया था कि सर मुझे नक्सली घोषित कर दिया है ! आज मुझे मारने पुलिस आयी थी ! मुझ पर गोलियां भी चलाईं ! मैं बचने के लिए जंगल में भाग गयी हूँ ! और मैं सोच रहा था ! तिरंगे झंडे की रक्षा के लिए अपनी जान पर खेलने वाली लडकी का ये अंत होगा ? काश इसने पुलिस की ज्यादतियों के खिलाफ कोर्ट में जाने का असंवैधानिक काम ना किया होता ! काश कि ये आदिवासी ना होती! काश इसके जिले में खनिज सम्पदा ना होती ! काश सत्ता पर धनपशु ना बैठे होते ! तो इस लडकी को देशभक्ति का पुरस्कार मिलता ! लेकिन अब देशभक्ति का ढोल पीट कर देश की संपत्तियों को विदेशी कंपनियों को बेचने वाले सरकारी देशद्रोही इस लडकी की हत्या करने पर उतारू हैं ! सोनी सोरी ने मुझे ये भी बताया कि सर लिंगा ने एक स्कूल में नक्सलियों के काले झंडे को उतर कर फेंक दिया और नक्सलियों को डांट कर भगा दिया है ! मैंने कहा कि तुम लोग सबसे लड़ाई क्यों ले रहे हो ? वहाँ जंगल में तुम्हे कौन बचाएगा ? खैर !
लिंगा का अंतिम फोन लगभग दो सप्ताह पहले आया कि सर मैं दिल्ली आ रहा हूँ और मैंने सोचा है कि गाँव में ही रह कर काम करूंगा ! सर आप मेरे लिए कहीं से एक कैमरे और एक पुराने लेप टाप की व्यवस्था कर देंगे क्या ? मैंने यह बात अपने दोस्तों से कही तो एक लेप टाप लिंगा के लिए मेरे एक दोस्त ने दे दिया है ! ये लेख मैं उसी लेप टाप पर लिख रहा हूँ ! ये लेप टाप अपने मालिक का इंतज़ार ही कर रहा है ! देखते हैं इसका इंतज़ार कब ख़त्म होगा !
इसी वर्ष मार्च में सरकार ने दंतेवाडा में तीन गाँव जला दिए ! ताड्मेतला , तिम्मापुरम और मोरपल्ली! लिंगा तब दिल्ली में ही था ! उसने कहा ,सर मैं जाकर इन गावों के लोगों से मिल कर आता हूँ ! लिंगा गया ! वहाँ से फोटो और विडियो लाया ! उनकी कापी मेरे पास भी है ! और मैंने अपने कुछ दोस्तों को भी दे दी है ! क्यों की इन गावों को जलाने की इस घटना की जांच सर्वोच्च न्यायालय ने सी बी आई को सौंपी है ! सरकार को पता है की लिंगा सी बी आई को महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है इसलिए उसे जेल में डालने का षड्यंत्र बनाया गया !
फिर चार दिन पहले लिंगा की बुआ सोनी सोरी का अचानक फोन आया कि सर, कल लिंगा को, पुलिस हमारे दादा जी के घर पालनार से पकड कर ले गयी ! वो बताने लगी, कि सर पुलिस वाले एक दिन पहले लिंगा के पास आये, और बोले कि हम तुम्हारे ऊपर अवधेश गौतम के घर पर हमले का केस ख़तम करा देंगे ! तुम बस ये करना कि लाला नामक एक आदमी बाज़ार में एक बैग में पैसे लेकर आएगा ! तुम वो पैसे का बैग लेकर पुलिस को लाकर दे देना ! बस उसके बाद तुम्हारे सारे केस ख़त्म ! लिंगा ने ऐसा करने से मना कर दिया , और अपने दादा जी के घर चला गया ! कुछ देर बाद एक सफ़ेद सुमो में सादी वर्दी में पुलिस वाले आये और लिंगा को गाडी में डाल कर ले गए ! अगले दिन फिर वही लोग सोनी को पकड़ने आये ! सोनी जंगल में चली गयी ! मैंने कहा गिरफ्तार हो जाओ ! नहीं तो तुम्हे ये लोग जान से मार देंगे ! तो बोली सर मेरे तीन छोटे छोटे बच्चे हैं ! मेरा पति भी जेल में है ! लिंगा भी जेल गया ! इन सब के लिए कौन लडेगा ? मैं दुनिया को सच्चाई बताना चाहती हूँ ! उसके बाद जेल भी जाऊंगी !
पता नहीं इस लडकी का क्या होगा ?

4 comments:

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  3. I think the fight of tribals still did not finish but started in new way...against Government...non-tribal people or middle-class people r not supporting to their oun brothers and sisters' causes and this is main reason of government's dictorship or administrators' dictorship in tribal dominated area...

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  4. आश्चर्य है। यह सब अखबार की लीड खबरें क्यों नहीं बन पाती। कहां है सरकार का सलमा जुडूम।

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