,इस रचना के सभी पात्र और घटनाएँ काल्पनिक हैं !
कल मुझे थाने में बुलाया गया ! थानेदार ने मुझे देखते ही माथा सिकोड़ कर पूछा "क्यों तुम नक्सलवादियों की मदद करते हो "?
मैंने पूछा हुज़ूर नक्सलवादी कौन होते हैं ? वो बोला , अरे इतना भी नहीं जानते ? वो हरी वर्दी पहनते हैं ! मैंने कहा , जी मैंने तो किसी हरी वर्दी वाले की मदद नहीं की ! थानेदार थोडा सकपकाया ! बोला , अरे कभी कभी बिना वर्दी वाले भी नक्सली होते हैं ! मैंने पूछा , सर तो मैं कैसे पहचानू कि मेरे घर पर आया व्यक्ति नक्सली है ? थानेदार ने एक और पहचान बताई , बोला, " नक्सल के पास बम और बन्दूक होती है ! मैंने पूछा ,"आपकी जानकारी में मैंने किसी बम , बन्दूक वाले नक्सली की मदद की है क्या?
इस बार थाने दार के माथे पर पसीना चुहचुहाने लगा ! थानेदार हकलाते हुए बोला बिना बम वाले भी नक्सली हो सकते हैं ! मैंने कह सर , नक्सलियों को मैं नहीं जानता पर मेरे घर में कुछ ऐसे लोग ज़रूर आते हैं , जिनकी लूंगी और बनियान फटी हुई होती है , भूख के कारण पेट और आँखें अन्दर धंसी हुई होती हैं , उनका घर पुलिस ने जला दिया होता है ! मैं उन लोगो को अपने घर में सुलाता हूँ, खाना भी खिलाता हूँ , और फिर अदालत भी लेकर जाता हूँ और पुलिस के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करवाता हूँ !
थानेदार ने चिल्ला कर कहा !" पकड़ लिया " ! यही कबूलनामा मैं सुनना चाहता था !अरे जिनका घर पुलिस जलाती है? वो तो पुलिस विरोधी ही हुए ना ? "और जो पुलिस विरोधी है ,वो राष्ट्रविरोधी है !" और तुम राष्ट्रविरोधी तत्वों को शरण और मदद देते हो ,जो तुम्हे विभिन्न धाराओं में जेल भेजने के लिए काफी है !
मैंने कहा , "थानेदार साहब , इन गरीबों की मदद के अपराध में मैं अपना आश्रम पहले ही तुडवा चुका हूँ , जेल की धमकी उसे देना जो जेल से डरता हो ! और साहब आपको एक नेक सलाह देता हूँ , तुम इन बड़े सेठों और नेताओं के पैसे खाकर देशवासियों के साथ गद्दारी मत करो ! वरना जिस दिन इन भूखे लोगों को गुस्सा आयेगा उस दिन तुम , तुम्हारे सेठ , और तुम्हारे नेता सब कहाँ गए ? ढूंढते रह जाओगे !
थानेदार को जितनी वैचारिक ट्रेनिंग मिली थी वो ख़तम हो गयी थी ! अब उसके पास बोलने के लिए कुछ नहीं बचा था , उसने मुझे भविष्य में देख लेने की धमकी दी और थाने से बाहर निकाल दिया !
आखिर कब आएगा हुस्सा? कितने साल और?
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