Saturday, February 4, 2012

सुप्रीम कोर्ट न्यायालय के जज साहब और वकील सर के नाम ख़त 03/02 2012

जज साहब आपके आदेश से कलकता में मेरी इलाज हुई जिससे मेरी जान बच गई फिर हमें इन लोगों के बीच क्यों रखा जा रहा है मैं सुरक्षित नहीं हूँ | अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है | आपका न्यायालय भी अपराध मानती है तो तो मुझे ऐसा कोई सजा दीजियेगा पर इनलोगों के बीच न रखा जाये | दिन और रात बड़ी तकलीफ के साथ बीता रही हूँ | वो इसलिए अंदरूनी दर्द है फिर भी फैसले की इंतजार में हूँ | न्यायालय पिता, हमें आपसे मांगकर लाने में तो छत्तीसगढ़ की पुलिस प्रशासन देर नहीं किया | दिल्ली न्यायालय ने तुरंत इनके हवाले कर भी दिया, फिर अब आपके न्यायालय में फैसला करने में देर क्यों ? क्या आपकी बेटी बहन के साथ जो अत्याचार हुआ वो कम था ? ऐसी बात थी तो आपने जीवनदान क्यों दिया ? हमें मरने दिया होता ये जीवन आपके आदेश के वजह से मिला है | जो मैं कभी नहीं भूल सकती | दिल्ली न्यायालय ने मेरा गिडगिडाना रोना ये सब तड़प को क्यों नहीं देख पाया न समझा | खास मेरी लाचारता को समझा होता तो आज मेरी हालात ऐसी न होती | फिर भी हमे छत्तीसगढ़ पुलिसकर्मियों के हाथो सौप दी गई | उस वक्त मेरी अंदर आत्मा कह रही थी पिता मुझे इनके हवाले मत करो ये लोग आपकी बेटी बहन के साथ क्या करने वाले हैं | आपको पता नहीं है | न्यायालय पिता को तो अपनी बेटी बहन से ज्यादा विश्वास पुलिसकर्मी में था अब उस विश्वास का क्या आज तो मेरा सब कुछ लूट चुके है | अब भी न्यायालय पिता को समझ में नहीं आया | खैर आज एक बेटी बहन लूट गई कल दूसरी बेटी बहन लूटी जायेगी | एक लाचार बेटी बहन की प्रार्थना है| न्यायालय पिता इस अत्याचार को रोक लो वरना आने वाले दिन इनकी ताकत और बढ़ जायेगी| क्योंकि हमें ये भी कहा गया था कि तुमको न्यायालय ने ही हमें अपने अंडर में रखने की परमीशन दिया है| अब कौन सी न्यायालय जाऊँगी| इसका मतलब ये हुआ जज साहब तुम्हारे न्यायालय पिता ने ही हमे सौप दिया है| हम कुछ भी कर सकते हैं| मैं इस देश की पहली ऐसी बेटी बहन हूँ न्यायालय पिता से मांगकर लाये और बड़ी बेदर्दी के साथ मानसिक शारीरिक रूप से प्रताडना किया गया ऐसी अत्याचार मेरे साथ क्यों| करंट सार्ट देना, कपड़ा उतरवाकर नंगा करना शरीर अंदर गिट्टी कंकड डालने से क्या नक्सलवाद समस्या खत्म हो जायेगा ? जज साहब आज भी शरीर की अंदरूनी पीड़ा से ग्रस्त हूँ | यदि आपके फैसले से पहले मेरी मौत होती है| तो इसके जिम्मेदार छत्तीसगढ़ सरकार पुलिस प्रशासन है| क्योंकि जब से पुलिस आफिसर अंकित गर्ग और कुछ पुलिसकर्मी मिलकर जो प्रताड़ना किये तब से ही मेरी मेरी शरीर की हालात गम्भीर रूप से है ! मेरे तीन बच्चे हैं| मेरे बाद इनका सहारा कोई नहीं है| मेरे पति को डेढ़ वर्ष से जेल में फर्जी केस बनाकर रखा गया है| मेरे पिता का घर को नक्सली लूट चुके हैं वो मेरे बच्चों को कहा से सहारा देंगे आज उन्हें सहारे की जरुरत है| मेरे तीनों बच्चे बहुत ही तकलीफ में हैं अनाथ की जीवन जी रहे हैं| हमें कुछ होने से जज साहब मेरे बच्चों को आश्रय बना दीजियेगा एक दु:खीत माँ की प्रार्थना है जज साहब अपने बच्चों के लिये आपसे | जज साहब गलतियाँ पुलिसकर्मियों ने किया सजा मुझे मिली| डेढ़ वर्ष से वारंट बनाकर रखे तो अरेस्ट क्यों नहीं किया| मैं कई बार थाना सी.आर.पी.एफ. कैम्प गई हमेशा पुलिसकर्मियों के साथ मेरी मुलाकात होती थी पुलिस का आना जाना हमेशा रहा है| शासकीय मीटिंग कलेक्टर का हो या कोई और अधिकारी का हमेशा जिला दंतेवाड़ा में होता था जो मैं मीटिंग में उपस्थित रहती थी उस समय अरेस्ट क्यों नहीं किया एस्सार नोटकांड में पुलिसवाले ने ही रुपये लेने का प्लान बनाया और मुझे नक्सली के नाम से रुपये लेने के लिये बोले जब मैंने मना की तो तब कहने लगे मेडम आपके नाम का अरेस्ट वारंट है| यदि रूपये लेनेवाला काम कर दोगे तो हम आपको अरेस्ट नही करेंगे सोच लो फिर भी जज साहब ये काम मैंने नहीं किया |

प्रार्थी
स्व हस्ताक्षरित
श्रीमती सोनी सोरी (सोढी)

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