Saturday, February 4, 2012

सोनी सोरी के हम सब से कुछ सवाल - जेल से भेजा गया नया पत्र 03/02/2012

गुरूजी,आप सब सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवी संगठन वाले, मानवाधिकार महिला आयोग, देश वासियों से पीड़ित लाचार एक आदिवासी महिला आप सबसे अपने ऊपर किये अत्याचार का जवाब मांग रही है| और जानना चाहती है कि –
(१) मुझे करंट शार्ट देने से, मेरे कपड़े उतारकर नंगा करने से या शरीर में बेदर्दी के साथ कंकड गिट्टी डालने से क्या नक्सलवाद समस्या खत्म हो जायेगा| हम औरतों के साथ ऐसा अत्याचार क्यों| आप सब देशवासियों से जानना है |

(२) जब मेरी कपड़े उतराया जा रहा था उस वक्त ऐसा लग रहा था कोई तो आये और मुझे बचा ले पर ऐसा नहीं हुआ| महाभारत में द्रोपती अपने वस्त्र अहरण में कृष्णजी को पुकारकर आपनी लज्जा को बचा ली| मैं किसे पुकारती मुझे तो कोर्ट न्यायालय द्वारा इनके हाथो में सौपी गई थी| ये नहीं कहूँगी कि मेरी लज्जा को बचा लो| अब मेरे पास बचा ही क्या है| हाँ आप सब से जानना चाहूंगी कि मेरे साथ ऐसा प्रताडना क्यों किया गया|



(३) पुलिस आफिसर अंकित गर्ग एस पी नंगा करके ये कहता है कि तुम रंडी औरत हो मदर सोद गोंड इस शरीर का सौदा नक्सली लीडरो से करती हो तुम्हारे घर में रात-दिन आते है| हमे सब पता है| जिससे एक अच्छी शिक्षिका होने का दावा करती हो| दिल्ली जाकर भी ये सब कर्म करती हो| तुम्हारी अवकात ही क्या तुम एक मामूली सी औरत का साथ इतने बड़े-बड़े लोग देंगे| पुलिस प्रशासन का आफिसर ऐसा क्यों कहा| आज इतिहास गवाह है कि देश की लड़ाई हो या कोई भी संकट हो नारियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है| क्या झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी तो क्या उसने अपने आप को सौदा किया| इन्दरागांधी देश की प्रधान मंत्री बनकर देश को चलाया तो क्या उसने अपने आप को सौदा किया| आज जो महिलाए हर कार्य क्षेत्र में आगे होकर कार्य कर रहे हैं| क्या वो महिलाये भी अपने आप को सौदा कर रहे है| हमारे देशवासी तो एक दूसरे के मदद एकता से जुड़े है| फिर हमारी मदद कोई क्यों नहीं कर सकता| आप सभी से जवाब जानना चाहूंगी|

(४) संसार की श्रृष्टि किसने किया| बलशाली, बुद्धिमान युद्धाओं का जन्म किसने दिया| यदि औरत जाति ना होती तो क्या देश की आजादी संभव था या नहीं| मैं भी तो एक औरत ही हूँ| फिर मेरे साथ ऐसा क्यों किया गया| जवाब दीजियेगा|

(५) मेरी शिक्षा को भी गाली दिया गया| मैं एक गांधीवादी स्कूल माता रुक्मणि कन्या आश्रम डिमरापाल में शिक्षा प्राप्त किया है| मुझे अपनी शिक्षा की ताकत पर पूरा विश्वास है| जिससे नक्सली क्षेत्र हो या कोई और समस्या फिर भी शिक्षा की ताकत से सामना कर सकती हूँ| मैंने हमेशा शिक्षा को वर्दी और कलम को हथियार माना है| फिर भी नक्सली समर्थक कहकर जेल में डाल रखा है| बापूजी के भी तो ये ही दो हथियार थे| क्या आज महात्मा गांधी जीवित होते तो क्या उन्हें भी नक्सल समर्थक कहकर जेल में डाल दिया जाता| आप सभी से जानना है|
(६) ग्रामीण आदिवासियों को ही नक्सल समर्थक कहकर फर्जी केस बनाकर जेलों में क्यों डाला जा रहा है| और लोग भी तो नक्सल समर्थक हो सकते हैं| क्या ये लोग अशिक्षित है सीधे-सादे जंगलों में झोपडियां बनाकर रहते हैं इसलिए या इनके पास धन नहीं या अत्याचार सहने की क्षमता है| आखिर क्यों| हमे आपलोगों से जानना है |

(७) हम आदिवासियों को अनेक तरह का अत्याचार करके, नक्सल समर्थक, फर्जी केस बनाकर, एक-दो केस के लिये भी ५ वर्ष ६ वर्ष से जेलों में रखा जा रहा है| ना कोई फ़ैसला, ना कोई जमानत, ना ही रिहाई| आखिर ऐसा क्यों| क्या हम आदिवासियों में सरकार से लड़ने की क्षमता नहीं है या सरकार आदिवासियों के साथ नहीं है| या ये लोग किसी बड़े नेताओ के बेटा, बेटी, रिश्तेदार नहीं हैं| कब तक आदिवासियो के साथ शोषण होते रहेगा, करते रहेंगे आखिर कब तक| आप सब देशवासियों से पूछ रही हूँ| जवाब दीजियेगा |

(८) जगदलपुर, दंतेवाड़ा जेलों में १६ वर्ष की उम्र में युवा-युवतियो को लाया गया वो युवा-युवतियां लगभग २०-२१ वर्ष के हो रहे है| फिर भी इन लोग का कोई सुनवाई नहीं हो रहा है| यदि कुछ दिनों वर्ष बाद इनकी सुनवाई भी होती है तो इन लोगों का भविष्य कैसा होगा| हम आदिवासियों के साथ ऐसा जुल्म क्यों? आप सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवी संगठन वाले देशवासियों सोचियेगा |

(९) नक्सली मेरे पिता के घर को लूट लिये और मेरे पिता के पैर में गोली मारकर विकलांग बना दिया| पुलिस मुखबिर के नाम से ऐसा किया गया| मेरे पिता के गांव बड़े बेडमा से लगभग २०-२५ लोगों को नक्सली समर्थक कहकर जेल में डाल रखे हैं| जिसकी सजा नक्सली मेरे पिता को दिया| आप सबसे जानना है| बताइए इसके जिम्मेदार कौन है| सरकार या पुलिस प्रशासन या मेरे पिता| आज मेरे पिता के लिये किसी तरह का कोई सहारा नहीं दिया गया ना मदद किया गया| बल्कि उनकी बेटी को पुलिस प्रशासन अपराधी बनाने की कोशिश कर रही है| नेता होते तो शायद मदद मिलती मेरे पिता ग्रामीण निवासी और एक आदिवासी हैं| फिर सरकार आदिवासियों के लिये क्यों करेगा|


छत्तीसगढ़ की नारी प्रताड़ना से जूझती
स्व हस्ताक्षरित
श्रीमती सोनी सोरी (सोढी)

6 comments:

  1. मूक और बधिर हैं हम लेकिन और कब तक?

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  2. असलियत से वाकिफ हैं लोग.नक्सलवाद के नाम पर कैसे केस बनाये जा रहे हैं यह भी इस तरह के पत्र और समाचारों से पता चलता ही है. विनायक सेन की दास्ताँ अभी बहुत पुरानी नहीं हुई है.मुझे लगता है ऐसे पत्रों और समाचारों को प्रधान मंत्री को हस्ताक्षर सहित भेजा जाना चाहिए. वे कुछ करेंगे या नहीं यह तो इस तरह का काम करने के बाद में ही पता चल सकेगा.इसके साथ ही ,यदि हम किसी मसले पर सहमत हैं तो , जनमत भी बना सकते हैं.

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    1. बसंत जी क्या आप सचमुच नक्सली समस्या से वाकिफ हैं???या केवल प्रिंट मीडिया में छपी बातें ही आपकी जानकारी का आधार हैं...विनायक सेन का उदहारण तो आपने दे दिया किन्तु क्या आपकी जानकारी विनायक सेन के इर्द गिर्द केवल उतना ही घुमती है जितना आपने समाचार पत्रों में पढ़ा या फिर स्क्रीन पर देखा या कभी अंदर झांकने का भी मौका मिला?...

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  3. असलियत से वाकिफ हैं लोग.नक्सलवाद के नाम पर कैसे केस बनाये जा रहे हैं यह भी इस तरह के पत्र और समाचारों से पता चलता ही है. विनायक सेन की दास्ताँ अभी बहुत पुरानी नहीं हुई है.मुझे लगता है ऐसे पत्रों और समाचारों को प्रधान मंत्री को हस्ताक्षर सहित भेजा जाना चाहिए. वे कुछ करेंगे या नहीं यह तो इस तरह का काम करने के बाद में ही पता चल सकेगा.इसके साथ ही ,यदि हम किसी मसले पर सहमत हैं तो , जनमत भी बना सकते हैं.

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    1. We are waiting and waiting for the SC judgment on Soni Sori's case. It should have been given on 25th Jan 2012. But for reasons best known to the judges,it is being delayed. We all hope that the judgment, hopefully it will be soon,will give justice to Soni.
      In case it fails to do so,we all will have to come down on the street to demand justice not only to Soni but also to hundreds of other innocent adivasi men & women languishing in the jails of the country.
      Stan Swamy

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  4. If she is really a victim of Naxal atrocities, then why did not She Join the peaceful Movement for peace, popularly known as Salwa - Judum.

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