Sunday, March 4, 2012

उतना ही सरकार फायदे मे रहेगी - सोनी सोरी

उतना ही सरकार फायदे मे रहेगी - सोनी सोरी

सुप्रीम कोर्ट न्यायलय वकील सर जी के नाम पर खत (२३/०२/२०१२)
वकील सर रायपुर रखने के बजाय हमें दिल्ली में रखना था, रायपुर आने के बाद मेरी परेशानियां बढते ही जा रहा है| मुझे अब तक दवाई की उपलब्ध नहीं किया | दर्द की तकलीफ को व्यक्त करते हुए बताती हूँ तो कहते हैं तुम प्रशासन तौर से आई हो और नक्सली महिला कहकर लिखित देकर मानसिक तनाव दिया जाता है| मुझे दवाई नहीं दिया जा रहा है जिससे मेरा अंदरूनी दर्द बढते जा रहा है| ये सब बाते न्यायालय स्थानीय कोर्ट में भी कहा था न्यायालय भी मेरी समस्या को हल करने के बजाय ये कहकर टाल दिया दिया कि तुम्हारा केस सुप्रीम कोर्ट न्यायालय में चल रहा है| जो कुछ भी करेगा सुप्रीम कोर्ट न्यायालय करेगा| वकील सर हमे पूरा विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट न्यायालय अत्याचार से पीड़ित महिला का न्याय अवश्य करेगा| पर कुछ तकलीफों को स्थनीय कोर्ट न्यायालय भी तो कर सकता है| लेकिन नहीं जान बुझकर सभी लोग हमें परेशान करके रखना चाहते हैं| पहले भी कहा था अब भी कह रही हूँ| मैं सुरक्षित नहीं हूँ ना ही महसूस कर सकती हूँ| मुझपर बहुत ही अन्याय कर रहे हैं| ये लोग हमे जीने नहीं देंगे| ये तो निश्चित है कि एक न एक दिन हमे मरना ही है| थोडा बहुत जीवन बचा है अपने बच्चों के नजदीक रहना चाहती हूँ| ताकि बच्चों से बीच-बीच में मिल सकू ! ये जीवन का क्या भरोसा कब क्या हो जाये इसलिय जगदलपुर वापस करवाइएगा वकील सर| आप मानो या ना मानो छत्तीसगढ़ सरकार हमे मौत देगी ही! क्योंकि मैं जिस स्थिति से गुजर रही हूँ , मैं ही जानती हूँ| काश हम दिल्ली में रहकर लड़ते तो बिल्कुल सुरक्षित रहते| ये सब आदिवासियों के भाग्य में कहाँ| हम आदिवासियों के नसीब में तो अत्याचार जुल्म सहकर मरना है मरना जरूरी है| हम आदिवासी सरकार के लिये एक ऐसी विजनेस हैं| जितना हम आदिवासियों पर छत्तीसगढ़ सरकार शोषण जुल्म अत्याचार प्रताड़ना महिलाओं पर बलात्कार बेरहमी के साथ नंगा करेगा उतना ही सरकार फायदे में रहेगा| ये सबके लिये ही करोड़ो-अरबों रूपये आते हैं| वकील सर यदि ये सब खत्म होने पर शांति आने पर सरकार में बैठे नेता लोग रोड पर भीख मांगते नजर आयेंगे इसलिये ये सब खत्म करने के बजाय बढ़ावा दे रहे हैं बढा रहे हैं| ऐसी स्थिति में हम जैसे लोगों को कैसे सरकार जिन्दा रख सकती है| वकील सर मुझपर मेरे अपने आदिवासी भाई-बहन, पिता पर बहुत अधिक अन्याय हो रहा है देख रही हूँ सह रही हूँ| ये सब अत्याचार पर सोचने के लिये ऐसा कदम उठाने के लिये छत्तीसगढ़ सरकार ने हमे मजबूर कर दिया जिससे अब हम भूख हड़ताल कर रहे हैं| जेल में हो या न्यायालय हो या सरकार प्रशासन, हम आदिवासियों की तकलीफों को क्यों नहीं समझता ? वकील सर मेरी इलाज की बात होती है तो इलाज हम दिल्ली में करवाएंगे| क्योंकि पिछले बार जो तकलीफ उठाये हैं वो बार-बार हम नही उठा सकते इससे अच्छा इलाज ना ही हो| पिछले बार इलाज के नाम पर मानसिक तनाव से ग्रस्त किये थे| रायपुर में तडप-तडपकर मरने के लिये ना छोड़ें एक बार आपलोग हमसे मिलने आइयेगा| दीदी और कोई प्लीज सर हम मिलना चाहते हैं| हम इस जगह पर रह नहीं सकते| स्थान्तरण हो|
स्व हस्ताक्षरित
प्रार्थी
श्रीमती सोनी (सोढ़ी)
Letter to Supreme Court Advocate Sir
Advocate sir,
I should have been kept in Delhi instead of Raipur. My troubles have increased ever since I was moved to Raipur. I have not even been provided with medicines. When I express my complaint of pain, they tell me that I have come through the administration, and they call me and write me down as a “Naxalite” woman, and this puts me under a lot of mental stress. I am not given my medicines, due to which my internal pains have been increasing. I have told the local court all this, but instead of solving my problem, the local court is avoiding it by saying that since my case is with the Supreme Court, whatever will be done here will be done by the Supreme Court.
Sir, I have complete faith that the Supreme Court will bring justice to a woman who has suffered torture. However, the local courts also have the ability to resolve some problems. But no! All of these people deliberately want to give me trouble. I am not safe here – I can feel that I am unsafe. I am suffering grave injustice and these people will not let me live. It is certain that I have to die some day or the other. Whatever little life I have left, I want to be close to my children, so that I can meet them from time to time. How can one trust this life – who knows what will happen next? So please get me moved back to Jagdalpur.
Sir, whether you believe it or not, the Chhattisgarh government will definitely award me with death. Only I know what I am undergoing. If only I could have stayed in Delhi while fighting this out, I would have been completely safe. But such is not the fate of adivasis! We, adivasis, are only fated to suffer atrocities and die; dying is necessary. We, adivasis, are a business for the government. The more the Chhattisgarh government will exploit us, oppress us, commit atrocities against us, torture us, rape our women, mercilessly strip us naked, the more the government will profit. It is for this reason alone that tens of billions of rupees come. Sir, if all this ends and there is peace, then the leaders who are now in the government will be seen begging on the streets. This is why, instead of ending this, they are encouraging this, enlarging this. In such a situation, how can the government let our people live?
Advocate sir, there is a lot of injustice happening to me, to my adivasi brother, sister, father… I am seeing this, I am suffering this. The Chhattisgarh government is forcing us to think about all these atrocities, into taking these steps, which is why I am now on a hunger strike. Whether inside the jail, or before the court – why does the government/ administration not listen to the problems of us adivasis? Sir, there is talk of my medical treatment – I want my medical treatment to be conducted in Delhi. The problems I have faced last time – I cannot bear them again and again. Rather, it would be better not to have any treatment at all. Last time, I was put under so much mental tension at the pretext of being given treatment. Please do not leave me to suffer and die in Raipur – please come to meet me once. I want to meet didi or someone else. I cannot stay in this place any longer. Please get me transferred.
Applicant
Smt. Soni Sori

No comments:

Post a Comment