Wednesday, March 28, 2012

राहुल शर्मा जैसे लोग अपमान, प्रताड़ना को सह नहीं पा रहे हैं- सोनी सोरी




पूजनीय मेरे पिता गुरु
चरण स्पर्श
आप लोग कैसे हैं| गुरूजी मैं भी एक इंसान हूँ| इस शरीर को दर्द होता है| कबतक ऐसे अन्यायों को सहूँ, सहने की भी सीमा होती है| मुझे पेशी में पेश नहीं किया जा रहा है| ना ही कोई मिलने आ रहे हैं| ऐसी स्थिति में मैं क्या करूँ| हमें तो ऐसा लगने लगा यदि मुझे कुछ हो भी जाये तो आपको मेरे पक्ष की खबर नहीं मिलेगी बल्कि विपक्ष की खबर मिलेगी| दिनांक १२.३.२०१२ को मेरी हालत गंम्भीर हो चुकी थी जिससे मुझे अस्पताल में भरती किया गया| भर्ती करने के बाद हमपर अनेक तरह का आरोप लगाया गया, ये महिला झूठ बोलती है, जानबूझकर नाटक करती है| इसलिये मैंने कहा था कि इलाज मैं यहाँ नहीं कराउंगी| मुझे पता था साथ में ये भी कहे कि इसका रिपोर्ट तो नार्मल है| ऐसी बात है तो मुझे अंदरूनी में दर्द क्यों होता है| मैं तो छत्तीसगढ़ सरकार के लिये एक मजाक बनकर रह गई हूँ, रह रही हूँ| जाब मुझे सोनोग्राफी कराया गया उससे पहले मुझे रोटी सब्जी खिलाये फिर सोनोग्राफी कराये| सब तो कागजों पर लीपापोती करना था दूसरी बात न्यायालय का भी आदेश पालन नहीं किया गया|  यदि मेरी चेकअप दिनांक १२.३.२०१२ से पहले होती तो शायद १२.३.२०१२ को जो स्थिति पैदा हुई वो नहीं होता | गुरूजी आपके द्वारा दी गई शिक्षा की ताकत से बहुत सा मानसिक शारीरिक प्रताड़ना को सह रही हूँ| अब आपके शिष्य और नहीं सह सकती| दिनांक ६.३.२०१२ को मेरी पेशी थी जेलर मैडम जेलर अधीक्षक सर से मेरी बहस हुई है| मैंने कहा कि इन सलाखों के अंदर रहकर हर नियमों का पालन कार रही हूँ| अबतक ऐसा कोई भी नियम का उल्लंघन नहीं किया जिससे आप कह सकें कि तुम गलती कार रही हो| मैं भी एक शासकीय कर्मचारी रही हूँ जिससे इतना तो समझती हूँ| जो अनुशासन बना है उसे पालन करना अनिवार्य कर्तव्य है फिर आप लोग मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो| पेशी ना ले जाना, स्वास्थ्य पर ध्यान ना देना, तब कहने लगा जेलर अधीक्षक कि ये सब मेरी जिम्मेदारी नहीं है| तब मैंने कहा आप मुझे बंदी आवेदन दो ताकि सरकार को लेटर भेजकर पूछना चाहूंगी कि ये सब किसके जिम्मेदारी है| गैर जिम्मेदार ब्यक्तियों प्रशासन पर हमें क्यों रखा गया| यदि आगामी में मुझे कुछ हो जाता है इसके जिम्मेदार कौन है| तब कहने लगा बिल्कुल लिखो जो करना है करो| बंदी आवेदन मांगती हूँ तो दे नहीं रहे हैं| कहते हैं ऐसी कोरा कागज पर लिखो इसी पर अबतक बहस चल रही है| गुरूजी मैं क्या करूँ छत्तीसगढ़ में तो कानून व्यवस्था बनाये रखने वाले आफिसर जैसे राहुल शर्मा ऐसे लोग अपमान, प्रताड़ना को सह नहीं पा रहे हैं जो कि आत्महत्या की जरुरत पड़ी आप सोचियेगा, इस वक्त मैं किन-किन हालातों से जूझ रही हूँ| ये शरीर मुझे अपना नहीं लगता, घृणा होती है| गुरूजी आपने हमें छोटे उम्र से बड़ी उम्र होते देखा है| हम क्या थे हमारे साथ ऐसा क्यों हुआ| मिलने के लिये भेजियेगा गलती पर क्षमा| छत्तीसगढ़ सरकार की अन्यायों से जूझती आपकी शिष्या की ओर से सभी को चरण स्पर्श नमस्ते |
आपकी शिष्या
श्रीमती सोनी सोरी

Respected father, my guruji,
I touch your feet!
How are you all? Guruji, even I am only a human. My body aches. For how long can I bear these injustices; there is a limit to how much I can bear.  I am not being taken for my court hearings.  Nor is anyone coming to see me. What should I do in this situation?  I have begun to feel that even if something happens to me, you will not hear any news from my side, you will only hear from the other side. 
On 12.3.2012, my condition had become quite serious, due to which I was admitted in the hospital.  After being admitted, a lot of accusations were hurled at me, “this woman tells lies, she is only pretending.”  That is why I said that I will not get treated here. I knew that they also said that her reports are all normal. If this correct, then why do I have internal pain?
I have become a joke for the Chhattisgarh government.  I am living with it.  Before they got my sonography done, they fed me with rotis and vegetables, and only then did they do the sonography.  All this is whitewashing for the purpose of paper work.  Secondly, they did not even follow the order of the court.  Had my checkup been completed before 12-3-2012, then maybe such an [emergency] situation would not have occuredon 12-3-2012. 
Guruji, I am able to cope with a lot of physical and mental torture due to your teachings. But now your student cannot bear it anymore. 
On 6-3-2012, I had to be presented in court.  I had an argument with Jailor Madam and Jail Superintendent Sir.  I told them that I was obeying every rule while living within these bars.  Till now I have not broken a single rule, so you have no opportunity to say that I am wrong.  I am also a government worker.  Due to this, I understand this at least that whatever is the regulation, that has to be obeyed.  Then, why are you people doing all this to me?  Not taking me for my hearings, not taking care of my health?  Then the Jail Superintendent started to say, “All this is not my responsibility.”  Then I asked him to give me the prisoner application, so that I can send a letter to the government and ask whose responsibility all this is.  Why are we being kept under non-responsible people?  If something happens to us in the future, then who is responsible for this? Then he says, “Certainly write, do whatever you wish to do.” But when I ask them for the Prisoner’s Application, they don’t give it to me. They say, write it on a blank piece of paper, all the arguments are being conducted like this only. 
Guruji, what should I do? In Chhattisgarh, even officers like Rahul Sharma who are responsible for maintaining law and order are not able to bear the insults and harassment, and felt the necessity to commit suicide.  At this time, I am facing so many situations.  This body does not feel like my own anymore – I am beginning to hate it.  Guruji, you have seen me go from a young girl to an older woman.  What was I, why did this happen to me?  Please send someone to meet me.  Forgive my mistakes.  Deep respects towards all from this student of yours, who is battling the injustices of the Chhattisgarh government,
Your student,
Smt. Soni Sodhi Soni
   

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