Monday, April 2, 2012

न्याय-तन्त्र को बचाने की एक कोशिश और



पुलिस बलात्कार करे तो क्या करें ?आप का जवाब होगा थाने में जाओ ! वह छह आदिवासी महिलाएं थाने भी गईं  !थाने में उनकी  शिकायत नहीं लिखी गयी क्योंकि बलात्कारी पुलिस वाले  है ! फिर उन महिलाओं को कहाँ जाना चाहिए ? आप कहेंगे एस पी को लिखो ! ठीक है उन महिलाओं ने एस पी को अपने साथ हुए अपराध के बारे में लिखा ! एस पी ने कोई जवाब नहीं दिया !अब ये महिलाएं क्या करे ? आप कहेंगे अदालत में जाकर शिकायत करो ! ठीक है उन महिलाओं ने यही किया ! अदालत ने उन महिलाओं का एवं इस अपराध के चश्मदीद गवाहों के बयान भी बयान रिकार्ड किये ! आरोपी पुलिस वालों को सम्मन भेज कर बुलाया वो नहीं आये ! जज ने  आरोपी बलात्कारियों के खिलाफ गिरफ्तारी नोटिस निकाल दिया !बलात्कारी पुलिस वाले फिर भी गिरफ्तार नहीं हुए ! पुलिस ने अदालत में झूठ बोल दिया की ये बलात्कारी पुलिस वाले फरार हैं! जज ने अपनी आर्डर शीट में लिख दिया कि आरोपी फरार हैं और उनके निकट भविष्य में मिलने की कोई सम्भावना नहीं है ! इसलिए केस को अभिलेखागार में रख दो !

    बाद में इन आरोपी पुलिस वालों ने पूरे दल बल के साथ इन लड़कियों के गाँव पर हमला किया एवं इन 
लड़कियों को अदालत के सामने मूंह खोलने की सजा के तौर पर फिर से थाने उठा कर ले गए ! पांच दिन थाने में रखा ! और पांच दिन भूखा प्यासा रख कर मार पीट कर ! पांच दिन के बाद  इन लड़कियों को इनके गाँव में लाकर फ़ेंक दिया ! 
 लेकिन वो पुलिस वाले गिरफ्तार नहीं हुए ! वो और नई लड़कियों के साथ बलात्कार करते रहे ! नए गाँव जलाते रहे ! और  नई हत्याएं करते रहे ! तनखाहें लेते रहे ! वनवासी चेतना आश्रम के खिलाफ बेरियर लगाते रहे !स्वामी अग्निवेश पर हमला करते रहे ! सी बी आई को पीटते रहे ! सी आर पी ऍफ़ पर हमला करते रहे !लेकिन अदालत के सामने फरार ही रहे ! 
   आज दंतेवाडा एस पी कार्यालय ने हमारे एक वकील  मित्र के सूचना के अधिकार क़ानून में माँगी गयी जानकारी में बताया है कि 2009 में बलात्कार केस में जिन पुलिस वालों और सलवा जुडूम के नेताओं के खिलाफ दंतेवाडा सेशन कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था वह वारंट  पुलिस को नहीं मिला ! ये एस पी साहब क्या कह रहे हैं ?
एस पी साहब के जवाब को सच माने तो क्या जज साहब का अदालती मुकदमा भी झूठा ? क्या उनकी अदालती कार्यवाही के कागज़ झूठे ? जज साहब ने साफ़ साफ़ लिखा है कि " आरोपी फरार हैं " जज साहब से किसने कहा कि आरोपी फरार है ? जज साहब ने क्या पुलिस के जवाब के बगैर ही अपनी मर्जी से या कल्पना से अदालती आदेश में लिख दिया कि आरोपी पुलिस वाले फरार हैं ? दो ही सम्भावना है या तो जज साहब झूठे हैं या एस पी साहब ! हम इस मामले को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में ले जा रहे हैं ! न्याय तन्त्र को बचाने की एक कोशिश और !

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