Monday, December 10, 2012

भाड़ में जाए तुम्हारा मानवाधिकार दिवस



क्या  कह रहे हो कि 
इन गंदे चमारों को 
इन बंगलादेशियों को 
इन मुसलमानों को 
मैं अपने बराबर मानूं ?

जो मेरी तरह मेरी भाषा नहीं बोलते 
जिनकी शक्ल हमारी तरह की नहीं है 
जो हमारे भगवान को भगवान भी नहीं मानते 
क्या मैं उन्हें भी इंसान मानूं ?
और मान लूं कि उनके ह्क़ भी मेरे बराबर हैं ?

और क्या यह भी मान लूं कि मेरी मान्यताएं 
उतनी ही गलत हो सकती हैं जितनी 
कि उनकी मान्यताएं गलत हैं .
क्या इसे ही लोकतन्त्र कह्ते हैं ?

भाड़ में जाए तुम्हारा मानवाधिकार दिवस 
यार मानवाधिकार दिवस का यह मतलब तो नहीं कि मैं अपना धर्म ही भ्रष्ट कर लूं 

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