Thursday, February 21, 2013

कानून और गैरकानूनी तो ताकत से निर्धारित होते हैं



समाज के अन्याय के मामलों में कानून का बहाना बनाने वालों को ये भी स्वीकार कर लेना चाहिये कि जनरल डायर का गोली चलाना भी कानूनी था . भगत सिंह की फांसी भी कानूनी थी . सुक़रात को ज़हर पिलाना कानूनी था . जीसस की सूली की सज़ा कानूनी थी . गैलीलियो की सज़ा कानूनी थी . भारत का आपातकाल कानूनी था . गरीबों की झोपडियों पर बुलडोजर चलाना कानूनी है . 

आज की हड़ताल गैरकानूनी है . अंग्रेज़ी राज का विरोध गैरकानूनी था . सुकरात का सच बोलना गैरकानूनी था . 

कानून और गैरकानूनी तो ताकत से निर्धारित होते हैं महाराज . 

आज तुम्हारे पास ताकत है इसलिये हम गैर कानूनी है . कल जब हमारे हाथ में ताकत होगी तब ये मुनाफाखोरी और अमीरी गैरकानूनी मानी जायेगी

जो कोका कोला के साथ हैं वो देशभक्त हैं . सरकार और पुलिस कोका कोला के पक्ष में हैं . जो कोका कोला के विरोध में हैं वो सरकार और पुलिस के विरोध में हैं . 

और जो सरकार और पुलिस के विरोध में है वो देशद्रोही है . सारे गाँव वाले देशद्रोही हैं . क्योंकि ये कोका कोला के विरोध में हैं . क्योंकि ये गाँव वाले अपनी ज़मीन पानी और जिंदगी को बचाना चाहते हैं इसलिये ये देशद्रोही हैं .

मनमोहन सिंह साहब ने भी तो लाल किले से कहा था कि ''असली आतंकवादी वही है जो हमारे विकास को रोकना चाहता है .''

कोका कोला वाले विकास कर रहे हैं . गाँव वाले देश को पिछड़ा ही रखना चाहते हैं .

भारत में अभी ये तय होना बाकी है कि भारत पर किसका कब्ज़ा होगा ? कोका कोला के एजेंटों का या भारत के करोड़ों गाँव वालों का ? भारत की पुलिस किसके कहने से किस पर अपनी गोली चला सकती है ? भारत की पुलिस करोड़ों गाँव वालों के लिये है या कोका कोला के लिये ?

मजाक बना कर रख दिया है जनरल डायर की औलादों ने हिन्दुस्तान की आजादी का . अपने देशवासियों को मारोगे और खुद को सरकार और देशरक्षक भी कहोगे ? तुम कुछ लुटेरे ही देश हो गये ? और करोड़ों देशवासी देशद्रोही हो गये ? क्यों ?




No comments:

Post a Comment