रमन सिंह जी सोलह साल पहले मैं यूपी से बस्तर आया था । पता चला है आपका परिवार भी यूपी से ही छत्तीसगढ़ आया था । इस तरह से इस प्रदेश में हम दोनों बाहरी ही हैं । इस प्रदेश के लोगों ने हम बाहरी लोगों को प्रेम से आपने बीच बसने दिया और इज्जत शोहरत और दौलत कमाने दी । आज हम दोनों ही इस प्रदेश के मूल निवासियों से हर मामले में आगे हैं ।
रमन सिंह जी मुझे हमेशा महसूस होता है कि इस प्रदेश के लोगों की भलमनसाहत की इज्जत करते हुए हमें इन की सेवा करने का तो अधिकार है परन्तु इनका नुकसान करने का कोई हक हमें नही हैं ।
आपके नेतृत्व में बस्तर के आदिवासियों के लिये एक अभियान चलाया गया जिसे मैंने बिल्कुल नज़दीक से देखा और भोगा है और आज भी भोग रहा हूँ जिसका नाम सलवा जुडुम हैं ।
मैं खूब अन्दर के गांवों में जाता हूँ और आदिवासियों से मिलता जुलता हूँ । ये वही आदिवासी हैं जिन्हें आपने अपने श्री मुख से नक्सल ‘‘समर्थक ग्रामीण‘‘ कहा हैं । याद करिये ई टीवी को दिया गया आपका इन्टरव्यु जिसमें आपने कहा कि ‘‘जो लोग सरकार समर्थक हैं वो सलवा जुडुम शिविरों में आ गये हैं और जो नक्सल समर्थक हैं 'वो अभी भी गांवों में हैं ' ।
मैं आपका ये ब्यान सुन कर हक्का - बक्का रह गया कि प्रदेश का मुखिया अपने घर में रहना पसंद करने वाले लाखों मूल निवासियों को नक्सलवादी घोषित कर रहा हैं और अब ये इन्हें मार डालने का हुक्म दे देगा ,और रमन सिहं जी ,आपने ठीक ऐसा ही किया .
आपने सैंकड़ों आदिवासी गांवो पर हमला करवाया ,आदिवासियों के घर जलवा डाले ,सैकड़ो आदिवासी बच्चियों की इज्जत तार-तार कर दी गई नौजवान ,बच्चे बूढ़े काट डाले गये ,बच्चों को थाने में ले जाकर - कत्ल किया गया ।
और इन मूल निवासियों के साथ ये सब किया गया एक यूपी से आये व्यक्ति के द्वारा ।
आपके इस ब्यान से कि सलवाजुडुम में शामिल न हुए गांव नक्सल समर्थक हैं नें प्रशासन में ,सलवाजुडुम के नेताओं में ,पुलिस व अन्य सशस्त्र बलों को एक नयी दिशा और उर्जा दी इन गांवो पर प्रशासन व पुलिस की देखरेख में बार-बार हमले किये गये और इतने जुल्म किये गये जिसने अतीत में मानवता के विरुध किये गये सभी अपराधों को पीछे छोड़ दिया । प्रशासन ने आपको खुश करने के लिये इन गांवो का राशन ,पानी ,स्कूल ,दवाई ,बाज़ार सब बन्द कर दिया ।
एक आदिवासी राज्य के सबसे शानदार और प्रागऐतिहासिक काल की आदिवासी संस्कृति को यूपी से आये एक व्यक्ति नें नष्ट कर दिया ।
बस्तर के आदिवासियों को आप तो मिलते नहीं इसलिये वो हमसे पूछते हैं हमारी गलती क्या हैं हमें क्यों मार रहे हो ,हम तो तुम्हें नही मारते ? अब मैं उन्हें क्या बताऊँ कि तुम्हारी ज़मीन के नीचे जो खनिज की सम्पत्ति है उसको बेचने का सौदा कर लिया गया हैं । अब तुम्हारी ज़मीन बड़ी कम्पनियों को दी जानी हैं ।
तुम्हारी गलती ये है कि तुम कमजोर हो ,तुम्हारी कोई आवाज़ नही हैं । तुम्हारे साथ कोई नहीं है ,तुम्हारे नेता भी तुम्हारे साथ नहीं रहे ,शहरी लोग ,मीडिया ,अफसर ,पुलिस ,एन.जी.ओ. कोई भी तो इन आदिवासियों की तरफ नहीं हैं । आदिवासी समझ नहीं पा रहे हैं कि किसके पास जायें । थाने जायें तो नक्सली कह कर गोली मार दी जायेगी । नेता हमलावरों में शामिल हैं । पुलिस हमला कर रही हैं । सरकार चुप हैं आखिर इन आदिवासियों के सामनें न्याय पाने और जान बचाने का आपने कौन सा रास्ता छोड़ा हैं । ऐसे में आदिवासी कहाँ जायेगा ध्यान से सोचियेगा ।
हिमांशु कुमार
१२/फरवरी २००७
No comments:
Post a Comment