Thursday, March 13, 2014

गोमपाड़




एक अक्टूबर सन दो हज़ार नौ को छत्तीसगढ़ के गाँव गोमपाड़ में सोलह आदिवासियों को सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन ने तलवारों से काट कर मार दिया . 

इन मारे गए लोगों में डेढ़ साल के बच्चे की माँ थी नाना था , नानी थी , आठ साल की मौसी भी थी . सीआरपीएफ द्वारा इस बच्चे की तीन उंगलियां भी काट डाली गयीं थीं .

इसके अलावा एक बुज़ुर्ग जो नेत्रहीन थे उनका पेट फाड़ दिया गया , एक बूढ़ी महिला के वक्ष काट डाले गए .
इस तरह कुल सोलह लोगों को मार डाला गया .

मैं इन मारे गए लोगों के परिवार के सदस्यों को लेकर दिल्ली आया .

दिल्ली के कांसटीट्युशन क्लब में प्रेस के सामने इन आदिवासियों के परिवार जनों को पेश किया .

बहुत बड़ी संख्या में मीडिया आया .

लेकिन सरकार के निर्देश पर अगले दिन मीडिया ने इस पूरी खबर को ब्लैक आउट कर दिया .

कहीं कोई खबर नहीं आयी .

मैं इन लोगों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय आया . पेटिशन दायर करी .

मैं पेटिशनर नम्बर एक बना मेरे साथ बारह आदिवासी सह पेटिशनर बने .

दंतेवाड़ा लौटने के बाद पुलिस ने इन आदिवासियों का अपहरण कर लिया .

मैंने दंतेवाड़ा छोड़ दिया .

इस मामले में अब मैं अकेला पेटिशनर बचा हुआ हूँ .

दंतेवाड़ा के एसपी अमरेश मिश्रा ने ने सर्वोच्च न्यायालय के डर से लाशों को खोद कर उनके हाथ काट लिए ताकि फोरेंसिक जांच में ये साबित न हो सके कि ये लोग निहत्थे थे और इन्होने कोई फायर नहीं किया था .

सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर छत्तीसगढ़ शासन को फटकार लगाई.

हमने कोर्ट से कहा कि अगर मारे गए लोग नक्सली थे तो सरकार ने किसी को बताया क्यों नहीं कि उसने सोलह नक्सलियों को वीरतापूर्वक मार डाला है ?

अगर मारे गए लोग निर्दोष आदिवासी थे और इन्हें नक्सलवादियों ने मारा था तो भी सरकार को सबको बताना चाहिए था कि देखिये नक्सलियों ने सोलह निर्दोष आदिवासियों को मार डाला है ?

और वैसे भी कानून कहता है कि अगर कोई नागरिक मरता है तो उसकी पुलिस रिपोर्ट तो होनी ही चाहिए .

तो कोर्ट बस इन सोलह आदिवासियों के मरने की एफआईआर लिखने का आदेश छत्तीसगढ़ सरकार को दे दे . और इसकी जांच एक विशेष जांच दल से करवा दे .

आज चार साल हो चुके हैं . मैं इस मुकदमे में करीब सौ बार कोर्ट के चक्कर काट चूका हूँ . लेकिन अभी तक फैसला नहीं आया .

मेरे परिवार वाले कहते हैं कि मुझे भी मार डाला जाएगा .

आज भी ये मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है .

और मैं अभी तक इन्साफ का इंतज़ार ही कर रहा हूँ .

No comments:

Post a Comment