Friday, August 15, 2014

कम मेक इन इंडिया

आपने कहा कि कम मेक इन इंडिया
विदेशी कंपनियों आओ अपना माल भारत में बनाओ
यह काम तो अमीर देशों की कंपनियां दसियों सालों से कर रही हैं
यह मुनाफाखोर कंपनियां उन्ही देशों में अपने कारखाने खोलती हैं जहां उन्हें सस्ते मजदूर मिल सकें ,और पर्यावरण बिगाड़ने पर सरकारें उन्हें रोक न सकें
सब इस खेल को जानते हैं
जब यह विदेशी कंपनियां मजदूरों से बारह घंटे काम कराती हैं
तब कोई भी सरकार इन कंपनियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करती
बताइये आज तक भारत में आपने किसी विदेशी कम्पनी पर इसलिए कार्यवाही करी है कि उसने मजदूरों को कम मजदूरी दी है
नहीं आपने आज तक कोई कार्यवाही नहीं करी
आपमें दम ही नहीं है इन विदेशी कंपनियों की बदमाशियों को रोकने का और अपने देश के गरीब नागरिकों और मजदूरों की हिफाज़त का
आप पूछते हैं उदारहण दूं
उदाहरण लाखों हैं
लीजिए एक उदहारण
छत्तीसगढ़ में स्विस सीमेंट कंपनी हालिसिम सीमेंट कम्पनी के द्वारा मजदूरों को कम मजदूरी दी गयी
जबकि वहाँ का विदेशी डिरेक्टर दस करोड़ तनख्वाह लेता है
श्रम अदालत ने मजदूरों के हक में फैसला दे दिया
कम्पनी ने अदालत का फैसला मानने से मना कर दिया
मजदूर धरने पर बैठे
छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने छह मजदूर नेताओं पर डकैती का मामला बना दिया
वो भारतीय मजदूर आज भी छतीसगढ़ की जेलों में पड़े हुए हैं
ये आपकी भाजपा सरकार ने किया है प्रधानमंत्री जी
कम मेक इन इण्डिया का नारा देने से पहले अमित जेठवा को याद कर लीजिए
जिसे पर्यावरण को बचाने के लिए आवाज़ उठाने के कारण आपके ही शासन में आपकी ही पार्टी के सांसद के इशारे पर गुजरात में गोली से उड़ा दिया गया
जीरो डिफेक्ट और जीरो इफेक्ट की बातें लाल किले से ही अच्छी लगती हैं
लेकिन जब भी सोनी सोरी उस जंगल की हिफाज़त के लिए आवाज़ उठाती है तो
आपकी ही सरकार उसे थाने में ले जाकर
सोनी सोरी को बिजली के झटके देती है और उसके जिस्म में पत्थर भर देती है
बातें बहुत सुनी हैं हमने
जाइए इस देश की एक भी सोनी सोरी के हक़ में एक कदम उठा कर दिखाइए
आपमें दम ही नहीं है मोदी जी
जिस दिन आप किसी सोनी सोरी के पक्ष में आवाज़ उठाएंगे मोदी जी
उसी दिन आपके मालिक ये पूंजीपति आपको रद्दी की टोकरी में फेंक देंगे
असल में तो आपका मुखौटा लगा कर लाल किले से आप नहीं ये पूंजीपति दहाड़ रहे हैं
आप कहते हैं आप प्लानिंग कमीशन को समाप्त कर देंगे
सही है अब जब सारे भारत को लूटने की सारी प्लानिंग अम्बानी के घर में ही होनी है
तो देश को प्लानिंग कमीशन की ज़रूरत भी क्या है
आप सफाई की बातें करते हैं ?
इस देश में सफाई मजदूरों की हालात क्या हैं कभी जानने की जहमत करी है आपने ?
पूछियेगा कि गंदगी फैलाने वाले ही संघ के नेता क्यों बने और सफाई करने वाला कभी संघ का नेता क्यों नहीं बन सका ?
आपके नागपुर के संघ के ब्राह्मण नेताओं से ये भी पूछियेगा
कि भंवर मेघवंशी के घर का खाना वो क्यों नहीं खा सके और उस खाने को उन्होंने सड़क पर क्यों फेंक दिया था ?
आप सोचते हैं कि आपकी कथनी से हम बहल जायेंगे ?
नहीं इस देश की लाखों सोनी सोरियों ,आरती मांझी , भंवरी बाई के हक के लिए कदम उठाने के लिए हम लड़ते रहेंगे , जेल जाते रहेंगे ,गोली खाते रहेंगे
आप हमें आतंकवादी ,नक्सलवादी ,देशद्रोही जो मन में आये कहिये
लेकिन इतिहास बताएगा
कि असल में देशभक्त कौन था और आतंकवादी कौन ?

1 comment:

  1. agar system ko hi badalne ki pahal ki jaaye to? ye kaam waqt bahut lega, lekin jaise jaise hum milke pahal karenge, kaam asaan hota jaayega aur manzil asaan....have to be taught once again that every person on earth has a responsibility towards other people n nature too

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