साम्प्रदायिकता का मुख्य काम अपने ही सम्प्रदाय के लोगों की आवाज़ को दबाना होता है
हिन्दु साम्प्रदायिकता का मुख्य काम क्या है ?
दलितों की बराबरी की मांग को कुचलना
आदिवासियों की ज़मीनों पर कब्ज़ा करना
भारत में औरतों की बराबरी की मांग से ध्यान हटाना
भारत में मज़दूरों की बदतर हालत से ध्यान हटाना
किसानों की समस्या से ध्यान हटाना
विद्यार्थियों की मांग सस्ती शिक्षा और रोजगार से ध्यान भटकाना
इसी तरह मुस्लिम साम्प्रदायिकता का क्या काम है ?
अपने ही सम्प्रदाय में औरतों द्वारा बराबरी की मांग को दबाना
अपने सम्प्रदाय के नौजवानों द्वारा तर्क और शिक्षा की तरफ जाने और सवाल उठाने को दबाना
अपने ही सम्प्रदाय में शिक्षा और रोज़गार की मांग से लोगों का ध्यान भटकाना
आप ध्यान से देखिये
दोनो ही सम्प्रदाय के साम्प्रदायिक नेता औरतों की बराबरी के विरोधी , गरीब विरोधी , मज़दूर विरोधी , तर्क विरोधी और शिक्षा विरोधी होते है
ध्यान से देखिये जब भी इनके अपने सम्प्रदाय के भीतर लोग बराबरी की मांग उठाते हैं , तभी ये साम्प्रदायिक नेता सक्रिय हो जाते हैं
तुरंत साम्प्रदायिक नेता अपने सम्प्रदायों को ज़्यादा कट्टर धार्मिक बनाने के काम में लग जाते हैं
और उसी समय यह साम्प्रदायिक नेता अपने अनुयायियों को दूसरे सम्प्रदायों का भय दिखाते हैं
इन साम्प्रदायिक नेताओं की चालाकी पकड़ना कोई मुश्किल काम थोड़े ही है
थोड़ी आंखे खुली रखिये
आप भी सारा तमाशा खुद साफ साफ देख सकते हैं
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