Sunday, July 3, 2016

मेहरबानी कर के मेरे जिले के मुसलमानों को बदनाम मत कीजिये

अभी अभी युवा पत्रकार कृष्णकांत की लिखी पोस्ट पढ रहा था
उन्होने बहुत सीधे ढंग से कैराना के बारे में भाजपा नेता हुकुम सिंह के झूठ की पोल खोली है
उस पोस्ट पर भक्तों का झुंड उन्हें गालियां दे रहा है
भक्त गण युवा पत्रकार को चुनौती दे रहे हैं कि तुझ में दम है तो जा कैराना में अपनी बीबी और बच्चों के साथ रह कर देख
भक्तों की जानकारी के लिये बता दूँ कि मैं मुज़फ्फर नगर का ही रहने वाला हूँ
मेरे ताऊ पं ब्रहम प्रकाश शर्मा प्रसिद्ध स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी थे , देश भर के नेता घर पर आते थे
भारत छोड़ों आंदोलन में मेरे पिताजी नें मुजफ्फर नगर रेलवे स्टेशन को आग लगा दी थी, और फरार हो गये थे
बाद मैं गांधी जी से उनका पत्र व्यवहार हुआ और गांधी जी नें मेरे पिताजी को सेवा ग्राम बुला लिया था
मैं जवानी में छत्तीसगढ़ चला गया था और वहाँ आदिवासियों के बीच रहा
मुज़फ्फरनगर में हमारा घर मुसलमानों के बीच में ही था ,
हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच मूँह बोले रिश्ते हुआ करते थे ၊
रशीद ताऊजी, गनी चाचा, जो दशहरे और ईद पर हम बच्चों को एक एक रुपया दिया करते थे
वे लोग आज भी मेरी स्मृति में है
मुज़फ्फर नगर दंगों के बाद हम पीड़ितों के बीच काम करने गये
हमें आफिस के लिये एक बड़ा मकान चाहिये था
एक मुस्लिम वकील साहब की बड़ी कोठी खाली थी
वकील साहब उसे बीस हजार महीने पर देने के लिये तैयार हो गये
कुछ दिनों बाद वकील साहब यूँ ही टहलते हुए मिले
उन्हें जब पता चला कि मैं मुजफ्फर नगर का ही हूं तो उन्होंने मेरे परिवार का परिचय पूछा
वकील साहब नें मेरे परिवार का परिचय सुनते ही मुझे गले से लगा लिया
इसके बाद हम लोग वहाँ छ्ह महीना रहे
वकील साहब नें हम से कोठी का किराया नहीं लिया
उन्होंनें कहा कि आपके ताऊ पंडित ब्रह्म प्रकाश जी हमारे बड़े भाई जैसे हैं
हम अपने भतीजे से किराया लेंगे क्या ?
वकील साहब अक्सर अपने घर से खाना भी भिजवा देते थे
और कहते थे पंडत जी शाकाहारी है चिन्ता मत करियो
खैर आइये अब कैराना चलते हैं
आप कैराना जायेंगे तो कस्बे के बाहर खेतों में आपको झोपाड़ियाँ फैली हुई मिलेंगी
ये मुज़फ्फर नगर दंगों के समय के विस्थापित शरणार्थी है
असली विस्थापित ये हैं
इन भारतीयों को पाकिस्तानियो ने विस्थापित नहीं किया है
इन भारतीयों को भारतीयों नें ही विस्थापित किया है
कभी ये विस्थापित अपने घरों में खुशी से रह रहे थे
इनके घर जला दिये गये
इनके परिवार की महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया
इनके परिवार के सदस्यों को मार डाला गया
ये सब गरीब मुसलमान लोग हैं
इनकी चर्चा कोई नहीं करता
हिन्दुओं की तरफ से इतनी नफरत झेलने के बावजूद इन विस्थापितों के मन में हिन्दुओं के लिये कोई कड़वाहट नहीं है
आप इनके बीच जाइये ये आपके लिये तुरंत चाय बना कर लायेंगे
अगर आप चाय नहीं पियेंगे तो ये समझ जायेंगे कि आप इनके मुसलमान होने के कारण इनके हाथ से बनी चाय नहीं पी रहे हैं
ये तुरंत किसी को भेज कर दुकान से कोल्ड ड्रिंक की बोतल ले आयेंगे
हुकुम सिंह का घर भी कैराना में है
पूछिये उससे कि इतने दंगे करवाने के बाद भी किसी मुसलमान ने हुकुम सिंह से कोई बेअदबी भी करी क्या ?
मैं किसी भी हिन्दु को आमंत्रण देता हूँ
कैराना समेत मुजफ्फर नगर के किसी भी मुस्लिम गांव में चले जाइये
साथ में अपने परिवार को लेकर जाइये
अगर आप वहाँ से भूखे लौट कर आ जायें तो मैं शर्त हार जाऊंगा
मेहरबानी कर के मेरे जिले के मुसलमानों को बदनाम मत कीजिये

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