Sunday, September 25, 2011

पता नहीं अगली बार मैं डेविड से कैसे नज़रे मिला पाऊँगा ?

डेविड का ई मेल आया ! हिमाँशु कल मैं दिल्ली पहुच रहा हूं ! कल का लंच साथ ही करते हैं ! मैंने अपनी पत्नी से कहा कल मैं घर पर खाना नहीं खाऊँगा ! अमेरिका से मेरा दोस्त आ रहा है उसके साथ बाहर ही खाऊंगा ! वो बोली कल तो होने दो सो जाओ ! रात को डेढ़ बजे मेरे दोस्त डेविड बारसामियां को हवाई अड्डे से ही वापिस अमेरिका भेज दिया गया ! डेविड के वापिस भेजे जाने पर मुझे ऐसा लग रहा है जैसे उसकी ये बेईज्ज़ती मैंने ही की है ! ऐसा लग रहा है जैसे आपने किसी को अपने घर बुलाया हो और आपके ही घर का कोई सदस्य अपमानित कर के उसे घर से निकाल दे , और आप चुप रहें ! हम सब चुप ही हैं !

मैंने अगले दिन अखबार में पढ़ा कि सरकार ने कहा है कि डेविड बारसामियां पिछली बार जब भारत आये थे तो उन्होंने अपने दौरे के विषय में लिखा था ! जबकि उनके पास टूरिस्ट वीसा था !इसका मतलब है मैं अभी अमेरिका गया था वहाँ मैंने जो देखा मैं अगर उसके बारे में लिखूंगा तो क्या अगली बार अमेरिका वाले मुझे हवाई अड्डे से वापिस भगा देंगे? हमारी सरकारे इतनी डरपोक क्यों होती जा रही हैं ? क्यों किसी के लिखने से ही डर लगने लगता है ?

मैं जून में अमेरिका गया तो मेरे मित्रों के द्वारा मेरे पास डेविड का सन्देश आया कि वो अपने रेडियो के लिए मेरा इंटरव्यू लेना चाहते हैं ! मेरा उनके यहाँ जाने का तय हुआ ! डेनवर हवाई अड्डे पर डेविड मुझे खुद लेने आये ! मिलते ही एकदम शुद्ध हिदी में बात करने लगे ! मैं आश्चर्य चकित रह गया ! रास्ते में डेविड ने सितार का रिकार्ड शुरू कर दिया मैंने पूछा आप को शास्त्रीय संगीत में भी रुची है तो उन्होंने बताया कि उन्होंने दिल्ली में कई वर्ष रह कर सितार बजाना सीखा है !

डेविड भारत से बेहद प्यार करने वाले इंसान है ! उनके घर में मैंने भारतीय शायरों, दार्शनिकों और संगीतकारों की अनेकों पुस्तकें देखी ! हम दोनों ने मिल कर एक दुसरे को अपनी पसंद की शायरी सुनायी ! डेविड ने दुनिया के अनेकों जाने मने दार्शनिकों के साथ शांति और न्याय के मुद्दे पर बहुत काम किया है !

डेविड के भारत से इस प्रकार के निष्कासन से भारत विशाल मज़बूत लोकतंत्र नहीं दिख रहा बल्की तानाशाही की ओर बढ़ता हुआ एक छोटा सा डरा हुआ फौजी देश लग रहा है ! हमें कैसा दिखना चाहिए हम खुद ही फ़ैसला करें ! पता नहीं अगली बार मैं डेविड से कैसे नज़रे मिला पाऊँगा ?

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