कारगिल की लड़ाई से काफी पहले की बात है .
भाजपा की सरकार थी . अटल बिहारी बाजपेयी प्रधानमंत्री थे . एक वरिष्ठ चिंतक ने मुझ से कहा
कि अमेरिका भाजपा को चुनाव में फिर से जिताना चाहता है. इसलिये अमरीका अब भारत और पकिस्तान के बीच में एक छोटा सा प्रायोजित युद्ध करवाएगा . इस युद्ध को अमेरिका कुछ दिनों में बंद भी करवा देगा . भाजपा युद्ध में मरे हुए शहीदों की लाशें दिखा कर अपनी पार्टी के लिये सहानुभूति वोट जुटा लेगी .और चूंकि युद्ध से हमेशा
सत्ताधारी दल को फायदा होता है . जनता डर कर सत्ताधारी पार्टी के पीछे खड़ी
हो जाती है . द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन में तो जनता के साथ साथ पूरा विपक्ष भी प्रधानमंत्री चर्चिल के पीछे खड़ा हो
गया था.
उन वरिष्ठ चिन्तक की बात पूरी तरह
सच साबित हुई . कुछ ही महीने बाद कारगिल की संदेहास्पद लड़ाई शुरू हो गई . पन्द्रह
सौ जवान मरवा कर भाजपा ने उनका टीवी पर वोट बटोरने के लिये खूब इस्तेमाल किया . बाद
में सेना के कुछ अधिकारियों ने इस बाबत मुंह खोलने की कोशिश करी तो उनका दमन कर के
चुप करवा दिया गया .
इस समय भी चुनाव सिर पर हैं. इस समय कांग्रेस की हालत बहुत पतली है ..
बलात्कार कांड के बाद कांग्रेस के हाथ पैर और फूल गये हैं . अगला चुनाव जीतने के
लिये काँग्रेस इस समय युद्ध का नाटक कर सकती है . मीडिया भी इसे हवा दे रहा है
क्योंकि युद्ध का हव्वा खड़ा करने से मीडिया की टीआरपी बढ़ती है , और हर व्यक्ति डर
कर सूचना पाने के लिये टीवी देखने लगता है .
ये दो सिपाहियों की मौत प्रायोजित
नाटक का पहला हिस्सा हो सकता है .
पिक्चर अभी बाकी है . देखते रहिये .
तब तक सेना की जय और सरकार की जय भी चिल्लाते रहिये . क्योंकि आपको बचपन से ऐसा ही करने के लिये सिखाया गया है .
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