Tuesday, March 17, 2015

पदमा

पदमा आंध्र प्रदेश में कम्प्युटर आपरेटर का काम करती थी .

उसका पति काम के सिलसिले में अक्सर बाहर ही रहता था . 

एक दिन सुबह सुबह दरवाजे पर दस्तक हुई पदमा ने दरवाजा खोला 

सामने छत्तीसगढ़ पुलिस वाले खड़े हुए थे . पदमा को छत्तीसगढ़ लाया गया .

पुलिस वालों ने थाने में पदमा से पूछा कि क्या तुम्हारे पति का नाम बालकिशन है? 

पदमा ने कहा हाँ है .

पुलिस ने कहा कि तुम्हारा पति नक्सलवादी है .

पदमा ने कहा तो अपने किस कानून के तहत मुझे पकड़ा है ? 

अगर मेरा पति नक्सली है तो मेरे पति को पकडिये .

पदमा का कहना सही था 

भारत के कानून के मुताबिक किसी के अपराध के लिए किसी दूसरे को सज़ा नहीं दी जा सकती.

खुद को फंसता देख पुलिस ने पदमा के ऊपर हत्या के तीन फर्ज़ी मामले बना दिए और पदमा को 2007 में जगदलपुर जेल में डाल दिया .

पदमा पर जगदलपुर कोर्ट में मुकदमा चला . पदमा के खिलाफ़ कोई गवाह या कोई भी सबूत तो था ही नहीं . 

जगदलपुर की जिला अदालत ने पदमा को सभी आरोपों से बरी कर दिया.

कोर्ट ने 10 अगस्त 2009 को पदमा को जेल से रिहा करने का आदेश दे दिया .

पदमा का वकील जेल के बाहर पदमा का इंतज़ार करता रहा कि पदमा जेल से बाहर आयेगी . 

लेकिन पदमा शाम तक जेल से बाहर नहीं आयी . 

पदमा अगले दिन भी जेल से बाहर नहीं आयी . 

पदमा तीसरे दिन भी जेल से बाहर नहीं आयी .

पदमा के वकील ने जेल अधिकारियों से पदमा के बारे में पूछा तो जेल अधिकारीयों ने बताया कि पदमा अब जेल में नहीं है . 

पदमा को तो दो दिन पहले ही पुलिस वाले कहीं ले गए .

पुलिस वालों ने कोर्ट का रिहाई आदेश मिलने के बाद पदमा को जेल से गायब कर दिया 

पदमा के वकील ने फिर से कोर्ट में पदमा को हाज़िर करने के लिए हेबियस कार्पस का मामला दायर किया .

पुलिस ने अदालत को बताया कि पदमा को पुलिस ने दो और मामलों में फिर से पकड़ लिया है .

लेकिन इस बार पदमा को पदमा पत्नी राजन के नाम पर पकड़ कर जेल में डाला गया था .

इस बार पुलिस ने पदमा पर दो हत्याओं का फर्ज़ी मुकदमा लगाया .

पदमा के वकील ने जब मुकदमे में पुलिस द्वारा अदालत में पेश किये गए कागज़ देखे तो पता चला कि बहुत साल पहले कभी पदमा नाम की कोई नक्सली नेता थी जो पुलिस रिकार्ड में भी सन दो हज़ार छह में मारी जा चुकी है .

इस बार उस मर चुकी पदमा के नाम पर इस पदमा को पुलिस ने बदमाशी पूर्वक जेल में बंद किया है .

पदमा के वकील ने मर चुकी पदमा पत्नी राजन के पति और उसके बेटे को अदालत के सामने पेश किया .

पदमा को अदालत ने फिर से रिहा करने का हुकुम दिया .

लेकिन तब तक पुलिस ने पदमा पर तीन और मामले बना दिए .

2014 में इस बार पुलिस ने होशियारी दिखाई इस बार पदमा के पति का नाम लिखा नामालूम और लिखा पता नामालूम .

तो अब पदमा तीन मामलों में पदमा पत्नी बालकिशन और दो मामलों में पदमा पत्नी राजन के रूप में जेल में बंद है .

अगर आपमें से किसी का यह दावा हो कि भारत में पुलिस सरकार न्याय सभी के लिए बराबर है तो वह जगदलपुर जेल में जाकर पदमा से मिल सकता है .

अगर मेरी एक भी बात झूठ पायी जाय तो सरकार मुझे बड़े शौक से तुरंत जेल में डाल दे .

इस कड़ी में कुछ और भी मामले देश के सामने रखूंगा .

1 comment:

  1. Its chilling! There is no democracy or judiciary system existing here! Whatever, we have is nothing but chains for the working class, peasants!
    Few exceptions may exist due contradiction in the exploitation system controlled by the tyrant state!
    Only mass revolution is the solution!!

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