Monday, July 15, 2013

राष्ट्रवाद की बलिवेदी पर बलि


अब जब आईबी और सीबीआई वाले खुद ही मान रहे हैं की संसद पर हमला सरकार ने खुद ही करवाया था . जिसका साफ़ मतलब है अफज़ल बेचारे को तो बेवजह ही भारत के राष्ट्रवाद की बलिवेदी पर बलि चढ़ा दिया गया था । 

अब यह भी साफ़ हो गया है कि पुलिस अफसरों ने मोदी की शान बढाने के लिए इशरत नामकी निर्दोष लडकी को बेवजह मार डाला था।
हम लोग बहुत पहले से ही कह रहे हैं की ये आतंकवाद तो असल में सरकार का ही हथकंडा है . सरकार बम फोड़ कर जनता को डराती है।जनता डर कर सरकार के पीछे छिप जाती है।

 सरकार में बैठे हुए अफसर और नेता बिना ज़रूरत के हथियार खरीदने लगते हैं , हथियार खरीदी में खूब कमीशन कमाते हैं। आतंकवाद के नकली खड़े किये गए पिशाच से डर कर जनता दवाई , स्कूल और दूसरी ज़रूरतों को भूल जाती है . इस तरह इन शासकों का काम धाम चलता रहता है .

इन्डियन मुजाहिदीन नामका संगठन भी गृह मंत्रालय में बैठे पुलिस वालों का बनाया हुआ काल्पनिक संगठन है . ये अफसर सरकार के कहने से आतंकवादी घटनाएँ करते हैं और फिर खुद ही इन्डियन मुजाहिदीन के नाम पर देश भर में डर का माहौल बनाते हैं .
इन अफसरों का काम पैसे फैंक कर अपने एजेंट खड़े करना उनसे आतंकवादी घटनाएँ करवाना और फिर देश में डर माहौल बनाना रहता है .

आज तक इन्डियन मुजाहिदीन के नाम पर जितने भी मुसलमानों को फंसाया गया है उनमे से बाद में ज़्यादातर निर्दोष पाए गए हैं .
चाणक्य ने कहा था की राजा को चाहिए की वह प्रजा में राज्य के प्रति भय बना कर रखे और इसके लिए वह काल्पनिक शत्रुओं का भय दिखा कर प्रजा को डराए.
 
आजकल भारत में सत्ताधारी दल मुसलमानों का और नक्सलवादियों का , डर पैदा कर के जनता को डराने का काम कर रहे हैं . 
बिना मेहनत के अमीर बना हुआ शहरी अमीर वर्ग भी सरकार के इस गंदे खेल में शामिल है . ये लोग सरकार के इस खेल को खूब हवा दे रहे हैं . 

इन लोगों के लिए न्याय , मानवाधिकार , सभी सम्प्रदायों की बराबरी वगैरह बातें मज़ाक में उड़ा दिए जाने लायक शब्द हैं .
खतरनाक बात है की आजादी के महज़ पैंसठ सालों के भीतर ही इस वर्ग ने भारत की सारी राजनैतिक और आर्थिक ताकत को अपनी मुट्ठी में बंद कर लिया है .

ये आज़ादी की मंजिल हरगिज़ नहीं है . हमें जल्दी ही इस हालत का तोड़ खोजना पड़ेगा .

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